गैलूसेक के गैसीय आयतन का नियम (Law Of Gaseous Volumes Or Gay Lussac's Law)


गैलूसेक के गैसीय आयतन का नियम (Law Of Gaseous Volumes Or Gay Lussac's Law)

यह नियम गै-लुसैक द्वारा सन् 1808 में दिया गया। उन्होंने पाया कि जब रासायनिक अभिक्रियाओं में गैसें संयुक्त होती हैं या बनती हैं, तो उनके आयतन सरल अनुपात में होते हैं, बशर्ते सभी गैसें समान ताप और दाब पर हों। गै-लुसैक के आयतन संबंधों के पूर्णांक अनुपातों की खोज वास्तव में आयतन के संदर्भ में ‘स्थिर अनुपात का नियम’ है। पहले बताया गया स्थिर अनुपात का नियम द्रव्यमान के संदर्भ में है। गै-लुसैक के कार्य की परिपर्ण सन् 1811 में आवोगाद्रो के द्वारा की गई


गैलूसेक नियम का गणितीय रूप
जहाँ:
V गैस का आयतन है,
n गैस की मात्रा है,
k एक नियतांक है।
अवोगाद्रो के नियम का सबसे महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि आदर्श गैस नियतांक (ideal gas constant) का मान सभी गैसों के लिये समान होता है। अर्थात्
 
का मान सभी गैसों के लिये समान है, चाहे उनके कणों का आकार अथवा द्रव्यमान कुछ भी हो
यहाँ:
p गैस का दाब है,
T गैस का ताप है।
किसी आदर्श गैस का एक मोल मानक ताप व दाब (standard temperature and pressure / STP) पर 22.4 लीटर स्थान घेरता है। इस आयतन को प्राय: आदर्श गैस का मोलर आयतन (molar volume) कहते हैं


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