जीवधारियों का वर्गीकरण (classification of organisms) - मोनेरा, कवक, प्रोटिस्टा, पादप, जंतु


जीवधारियों का वर्गीकरण (classification of organisms) - मोनेरा, कवक, प्रोटिस्टा, पादप, जंतु
जीवधरियो का वर्गीकरण क्या है?
जीवधारियों का वर्गीकरण करने से हमें जीवधारियों के अध्ययन में सुविधा होती है। जीवधारियों के विकास क्रम का ज्ञान होता है


जीवधरियो का वर्गीकरण की आवश्यकता क्यों पड़ी?
पृथ्वी में कई मिलियन पौधे तथा प्राणी है, इन सभी जीवों का अध्ययन करना कठिन है, इसलिए वर्गीकरण की आवश्यकता पड़ी। वर्गीकरण की किसी भी प्रणाली के बिना जीवधारियों की पहचान सम्भव नहीं है, वर्गीकरण से विकास प्रकम का ज्ञान होता है।

01. अरस्तू- सर्वप्रथम अरस्तू ने जीव जगत को दो समूहों अर्थात् वनस्पति तथा जंतु जगत में बाँटा था 

02. लीनियस- लीनियस ने अपनी पुस्तक Systema Naturae में सम्पुर्ण जीवधारियों को पादप तथा जंतु जगत में वर्गीकृत किया

लीनियस के वर्गीकरण प्रणाली के आधार पर ही आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली की नींव पड़ी है इसलिए लीनियस को आधुनिक वर्गीकरण प्रणाली का पिता कहा जाता है 

03. व्हिटकर- परंपरागत द्विजगत वर्गीकरण प्रणाली का स्थान पर व्हिटकर (Whittaker) द्वारा 1969 ई. में पाँच जगत प्रणाली प्रस्तुत किया व्हिटकर ने सभी जीवों को पाँच जगत में वर्गीकृत किया 


01. मोनेरा (Monera)- इस जगत में प्रोकैरियोटिक जीव अर्थात् जीवाणु (Bacteria), सायनोबैक्टीरिया और आर्कीबैक्टीरिया शामिल हैं

02. प्रोटिस्टा (Protista)-  इस जगत में एककोशिकीय, यूकैरियोटिक जीव शामिल हैं, पादप व जंतु के बीच स्थित युग्लीना इसी जगत में शामिल है 

03. कवक (Fungi)- इसमें परजीवी तथा मृत पदार्थों पर भोजन के लिए निर्भर जीव शामिल है | इनकी कोशिका भित्ति काईटिन की बनी होती है |

04. पादप (Plantae)- इस जगत में शैवाल व बहुकोशिकीय हरे पौधे शामिल हैं |

05. जंतु (Animal)- इसमें सभी बहुकोशिकीय जंतु शामिल होते हैं | इसे मेटाजोआ भी कहा जाता है 

कुछ महत्वपूर्ण बाते
01. मोनेरा जगत 
• इसे पुनः आर्कीबैक्टीरिया और यूबैक्टीरिया में बाँटा है, जिनमें से आर्कीबैक्टीरिया अधिक प्राचीन है 


02. प्रोटिस्टा जगत
• इसमें विभिन्न प्रकार के एककोशिकीय यूकैरियोटिक जीव, जैसे एककोशिकीय शैवाल, प्रोटोज़ाआ और एककोशिकीय कवक शामिल हैं
•  ये स्वपोषी या परपोषी होते है              

03. कवक जगत
• वे पौधे शामिल हैं जो प्रकाश संश्लेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन स्वयं तैयार नहीं कर पाते हैं 
• ये परपोषी और यूकैरियोटिक होते हैं 
•  इनमें भोजन को ग्लाइकोजन के रूप में संचयित (Store) किया जाता है
•  कवकों के उदाहरण यीस्ट, मशरूम, दीमक आदि हैं 

04. पादप जगत
• इसमें बहुकोशिकीय पौधे शामिल होते हैं
• ये यूकैरियोटिक होते हैं
•  इनमें रसधानी पाई जाती है
• इनमें कोशिका भित्ति पाई जाती है
• ये पौधों के लिए भोजन को स्टार्च और लिपिड्स के रूप में संचय (Store) करते हैं
•  इनमें लवक उपस्थित होते हैं|
• ये स्वपोषी होते है (अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं)


05. जंतु जगत
• ये परपोषी होते है
• जन्तुओं में कोशिका, ऊतक etc. पाए जाते हैं

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