पंचायती राज व्यवस्था (Panchayati Raj System) क्या है?
'पंचायती राज व्यवस्था' ग्रामीण भारत की स्थानीय स्वशासन प्रणाली है, जिस तरह से नगरपालिकाओं तथा उपनगरपालिकाओं के द्वारा शहरी क्षेत्रों का स्वशासन चलता है, उसी प्रकार पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों का स्वशासन चलता है।
पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित कुछ पॉइंट्स :
• 'पंचायती राज व्यवस्था' ग्रामीण भारत की स्थानीय स्वशासन की प्रणाली है।
• जिस तरह से नगरपालिकाओं तथा उपनगरपालिकाओं के द्वारा शहरी क्षेत्रों का स्वशासन चलता है, उसी प्रकार पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों का स्वशासन चलता है।
• भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं।
• आधुनिक भारत में प्रथम बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगधरी गांव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई।
• भारत में ब्रिटिश शासनकाल में लॉर्ड रिपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक माना जाता है। वर्ष 1882 में उन्होंने स्थानीय स्वशासन सम्बंधी प्रस्ताव दिया।
पंचायती राज संस्थाएँ तीन हैं :
(i) ग्राम के स्तर पर ग्राम पंचायत
(ii) ब्लॉक (तालुका) स्तर पर पंचायत समिति
(iii) जिला स्तर पर जिला परिषद
पंचायती राज संस्थाओ के प्रमुख काम :
• आर्थिक विकास करना
• सामाजिक न्याय को मजबूत करना
• राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की योजनाओं को लागू करना है, जिसमें 11वीं अनुसूची में उल्लिखित 29 विषय भी हैं।
त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था में
• वर्ष 1993 में 73वें व 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ।
• ग्राम पंचायत (ग्राम स्तर पर)
• पंचायत समिति (मध्यवर्ती स्तर पर)
• ज़िला परिषद (ज़िला स्तर पर)
पंचायती राज से संबंधित विभिन्न समितियाँ
• बलवंत राय मेहता समिति (1956-57)
• अशोक मेहता समिति (1977-78)
• पी वी के राव समिति (1985)
• डॉ एल ऍम सिन्घवी समिति (1986)
• पी के थुंगन समिति (1988)
No comments:
Post a Comment