अफ़ग़ानिस्तान में तेज़ी से बदलते घटनाक्रम और मौजूदा हालात से ऐसा लगता है कि तालिबान लंबे समय से सत्ता में राज कर रहा है ऐसे में सुरक्षा को लेकर मध्य और दक्षिण एशिया के कई देशों की चिंताएं बढ़ बढ़ गई हैं भारत के लिए भी ये सब बहुत चुनौतीपूर्ण है
कुछ मामलों को जानकर लगता है कि भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो जमू-कश्मीर में तालिबान को हुकूमत करने की मान्यता दे या नहीं इन को लेकर कई तरफ से राय बटी हुई है इस विचार पर डिसाइड नहीं हो पाया है
कुछ एक विशेषज्ञ कहते हैं कि भारत को फ़िलहाल कोई जल्दबाज़ी नहीं करनी चाहिए क्योंकि तालिबान की विचारधारा पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है वो तब भी लोकतंत्र लागू करने के ख़िलाफ़ थे और आज भी लोकतंत्र लागू करने के खिलाफ है इसलिए भारत को जल्दबाजी नहीं दिखानी चाहिए
तालिबान देश को अपने शरिया क़ानून के हिसाब से ही चलना चाहते हैं
No comments:
Post a Comment